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भारत में आने वाली है और बड़ी तबाही? मई में कोरोना से हर दिन हो सकती हैं 5 हजार मौतें, अमेरिकी स्टडी का डराने वाला दावा

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भारत में कोरोना वायरस का कहर इस कदर बढ़ता जा रहा है कि अब अस्पतालों में मरीजों को बेड तक नहीं मिल पा रहे हैं। अभी जब एक दिन में कोरोना के तीन लाख से अधिक केस आ रहे हैं और 2000 से अधिक मौतें हो रही हैं, तब देश की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा सी गई है। चारों ओर ऑक्सीजन से लेकर बेड और दवाइयों के लिए हाहाकार मचा हुआ है। मगर अंदाजा लगाइए कि जब एक दिन में आठ लाख से अधिक केस मिलने लगेंगे और पांच हजार मौतें होंगी, तब देश की क्या हालत होगी। दरअसल, अमेरिकी स्टडी में इस बात का अनुमान लगाया गया है कि भारत में मई के मध्य में कोरोना अपने पीक पर होगा और इस दौरान हर दिन 5 हजार से अधिक मौतें होंगी। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी स्टडी ने चेताया है कि कोरोना वायरस से होने वाली मौतों का आंकड़ा भारत में रोजाना मई के मध्य तक 5,600 पर पहुंच सकती है। इसका मतलब होगा कि अप्रैल से अगस्त के बीच देश में कोरोना वायरस की वजह से करीब तीन लाख लोग अपनी जान गंवा सकते हैं। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) द्वारा 'कोविड-19 अनुमान' नाम से अध्ययन किय

राजपूत अगर सभी युद्ध हारते तो आज हिन्दू जिंदा कैसे है

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यदि हमारे पूर्वज युद्ध हारते ही रहे, तो हम 1200 साल से जिंदा कैसे हैं? हम 1200 सालों से हिन्दू कैसे बने हुए हैं? हमारे पूर्वजों की भूमि की चौहद्दी प्रायः वैसी ही क्यूँ है? और उसी चौहद्दी को पुनः हासिल करने को हम प्रतिबद्ध क्यूँ है? आजकल लोगों की एक सोच बन गई है कि राजपूतों ने लड़ाई तो की, लेकिन वे एक हारे हुए योद्धा थे, जो कभी अलाउद्दीन से हारे, कभी बाबर से हारे, कभी अकबर से, कभी औरंगज़ेब से... क्या वास्तव में ऐसा ही है ? यहां तक कि समाज में भी ऐसे कईं राजपूत हैं, जो महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान आदि योद्धाओं को महान तो कहते हैं, लेकिन उनके मन में ये हारे हुए योद्धा ही हैं #महाराणा_प्रताप के बारे में ऐसी पंक्तियाँ गर्व के साथ सुनाई जाती हैं :- "जीत हार की बात न करिए, संघर्षों पर ध्यान करो" "कुछ लोग जीतकर भी हार जाते हैं, कुछ हारकर भी जीत जाते हैं" असल बात ये है कि हमें वही इतिहास पढ़ाया जाता है, जिनमें हम हारे हैं,क्योंकि हमारा मनोबल कम हो, ये कुकृत्य कांग्रेस द्वारा किया गया । मेवाड़ के #राणा_सांगा ने 100 से अधिक युद्ध लड़े, जिनमें मात्र ए

भारत की वो 12 फ़ेमस जगहें जिनके ऊपर से हवाई जहाज़ निकालना मना है, जानना चाहते हो क्यों?

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'हवाई जहाज़' हम में से ज़्यादातर लोगों का हवाई जहाज़ (Aeroplane) से आना-जाना लगा रहता है. शायद कुछ लोग ऐसे भी हों जिन्होंने अब तक हवाई यात्रा न की हो. आप प्लेन से गये हैं या नहीं, इससे फ़र्क़ नहीं पड़ता. फ़र्क़ इस बात से पड़ता है कि आप किसी चीज़ के बारे में कितना जानते हैं. जैसे कि आप में से कितनों को पता है कि देश की कुछ जगहों के ऊपर से प्लेन उड़ाना बैन है. यानि देश की कुछ जगहों और इमारतों के ऊपर से हवाई जहाज़ नहीं निकाला जा सकता है. इन जगहों को No Fly Zone कहा जाता है. No Fly Zone सुरक्षा के लिहाज़ से बनाये जाते हैं. ताकि उन इमारतों और वहां रहने वाले लोगों को कोई नुकसान न पहुंचे. इन जगहों पर हवाई जहाज़ के साथ-साथ ड्रोन की उड़ानों पर भी प्रतिबंध होता है. ऐसा करने का मक़सद सिर्फ़ देश की महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक (Historical) जगहों को सुरक्षित रखना है. आइये जानते हैं कि भारत (India) की कौन-कौन सी जगहें और स्मारक No Fly Zone में आते हैं: 1. राष्ट्रपति भवन, दिल्ली 2. संसद भवन, दिल्ली 3. प्रधानमंत्री आवास, दिल्ली 4. भारतीय वायुसेना के ठि

भारत के इस राज्य में हुई थी भीम की शादी! खुद को राक्षसी हिडिंबा का वंशज मानते हैं लोग

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हम सभी ने महाभारत के बारे में जरूर पढ़ा और सुना होगा. यही वजह है कि पांडव और कौरव कौन थे, महाभारत का युद्ध किसने जीता, वगैरह-वगैरह इन सभी सावलों के जवाब हम सभी जानते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में आज भी ऐसी जगह मौजूद है, जहां आज भी महाभारत काल के महाबली भीम की राक्षसी पत्नी हिडिंबा के वंशज रहते हैं! हम बात कर रहे हैं भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य नगालैंड के बारे में, साल 1961 में इस राज्य का नाम नगालैंड रखा गया, जबकि इससे पहले इसे नगा हिल्स तुएनसांग एरिया कहा जाता था. अपने शुरुआती दिनों में ये राज्य एक केंद्र शासित प्रदेश हुआ करता था लेकिन एक दिसंबर, 1963 को इसे देश का 16वां राज्य बनाया गया था. एक ही रेलवे स्टेशन और एक ही हवाईअड्डा है यहां आपको जानकार हैरानी होगी कि नगालैंड भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां केवल एक ही रेलवे स्टेशन और एक ही हवाईअड्डा मौजूद है और ये दोनों राज्य के सबसे बड़े नगर दीमापुर में हैं. ऐसा इसलिए भी क्योंकि दीमापुर को नगालैंड का प्रवेश द्वार माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस राज्य में पांडवों ने अपने वनवास का काफी समय व्यतीत किया था. दिमापुर

यहां महज 40 मिनट के लिए होती है रात, बेहद दिलचस्प है इसके पीछे की कहानी

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ये तो हम सब जानते हैं कि ये दुनिया प्रकृति के हिसाब से चलती है. समय पर दिन होता है और फिर रात होती है. हालांकि, अलग-अलग जगहों पर आपको इसमें अंतर जरूर दिखाई देगा. लेकिन, ऐसा नहीं है कि दिन-रात का खेल एक साथ नहीं चलता है. लेकिन, आपको जानकर हैरानी होगी कि इस धरती पर एक ऐसी जगह भी है जहां महज 40 मिनट के लिए ही रात होती है. ये बात सुनकर भले ही आपको हैरानी हो रही होगी, लेकिन यह पूरी तरह सच है. तो आइए, जानते हैं ऐसी कौन सी जगह है जहां केवल 40 मिनट के लिए ही रात होती है. नॉर्वे का नाम तो आप लोगों ने सुना ही होगा. हो सकता है कुछ लोग पहली बार इसका नाम सुन रहे हों. तो हम आपको बता दें कि नॉर्वे ही ऐसी जगह है, जहां महज 40 मिनट के लिए रात होती है. बताया जाता है कि यहां रात 12 बजकर 43 मिनट पर सूरज छिप जाता है और 40 मिनट के अंतराल पर उग भी जाता है. रात के जैसे ही डेढ़ बजते हैं चिड़ियां चहचहाने लगती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि यह सिलसिला कुछ ही दिन नहीं बल्कि तकरीबन ढाई महीने तक चलता है. नॉर्वे को ‘कंट्री ऑफ मिडनाइट सन’ भी कहा जाता है. 76 दिनों तक नहीं डूबता है सूरज आपको बता दें कि यह देश

सड़क किनारे किलो के हिसाब से बिक रहे हैं नोट - जितने चाहे खरीद लो

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सड़क किनारे किलो के हिसाब से बिक रहे हैं नोट: दुनिया में हर चीज़ पैसों से खरीदी जाती है। कुछ लोग पैसे के लिए मेहनत मजदूरी करते हैं, तो कुछ लोग गलत तरीके से पैसे पाने के लिए अपराध तक कर बैठते हैं। पैसा एक ऐसी चीज़ है। जिसे हर कोई पाना चाहता है। कुछ लोगों को अपना परिवार चलाने के लिए पैसे की ज़रूरत पड़ती है, तो कुछ लोगों को अपने ऐश-ओ-आराम के लिए। लेकिन दुनिया में एक ऐसी जगह भी है। जहां पैसे के लिए न कोई अपराध होता है और न कोई पैसे के पीछे भागता है। सीधे सरल शब्‍दों में कहा जाए तो यहां पैसे का कोई मोल ही नहीं है। यह है दुनिया का सबसे अनोखा देश जहां लगता है पैसों का बाज़ार : अफ्रीका देश, सोमालीलैंड दुनिया का इकलौता ऐसा देश है, जहां के लोग पैसों के पीछे नहीं भागते हैं और न ही उन्‍हें पैसों की कोई परेशानी है। इस देश में पैसों का बाज़ार लगता है। यहां जो चाहे वो बहुत ही कम दाम में पैसे खरीद सकता है। इस देश की मुद्रा का नाम है सोमालीलैंड शिलिंग। यहां पर दस अमेरिकी डॉलर के बदले 50 किलो सोमालियन मुद्रा के नोट खरीदे जा सकते हैं। यह ऐसा देश है जहां पर चारों तरफ पैसा ही पैसा दिखाई देता है

पेशवा बाजीराव प्रथम की विशेषताएं क्या थीं? जानिए

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पेशवा बाजीराव प्रथम (श्रीमंत पेशवा बाजीराव बल्लाळ भट्ट) एक महान सेनानायक थे। वे 1720 से 1740 तक मराठा साम्राज्य के चौथे छत्रपति शाहूजी महाराज के पेशवा (प्रधानमन्त्री) रहे। इनका जन्म चित्ताबन कुल के ब्राह्मणों में हुआ। इनको 'बाजीराव बल्लाळ' तथा 'थोरले बाजीराव' के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें प्रेम से लोग अपराजित हिन्दू सेनानी सम्राट भी कहते थे। इन्होंने अपने कुशल नेतृत्व एवं रणकौशल के बल पर मराठा साम्राज्य का विस्तार (विशेषतः उत्तर भारत में) किया। इसके कारण ही उनकी मृत्यु के 20 वर्ष बाद उनके पुत्र के शासनकाल में मराठा साम्राज्य अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच सका। बाजीराव प्रथम को सभी 9 महान पेशवाओं में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इनके पिता पेशवा बालाजी विश्वनाथ भी छत्रपति शाहूजी महाराज के पेशवा थे। बचपन से बाजीराव को घुड़सवारी करना, तीरंदाजी, तलवार भाला, बनेठी, लाठी आदि चलाने का शौक था। 13-14 वर्ष की खेलने की आयु में बाजीराव अपने पिताजी के साथ घूमते थे। उनके साथ घूमते हुए वह दरबारी चालों व रीतिरिवाजों को आत्मसात करते रहते थे।यह क्रम 19-20 वर्ष की आयु तक चलता रहा। ज

लक्ष्मण के 14 साल तक ना सोने के पीछे का रहस्य जानकर उड़ जाएगी आपकी नींद

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रामायण की मान्यताओं के अनुसार जब लक्ष्मण श्रीराम के साथ 14 वर्षों के लिए वनवास गए थे तो 14 सालों तक बिना सोए रात को अपने बड़े भाई और भाभी रक्षा करते थे. 14 वर्षों तक लक्ष्मण जागते रहे थे. इसके पीछे की कहानी ये है कि, जब लक्ष्मण साथ में जा रहे थे तो उन्होंने निद्रा(Nidra) देवी से वरदान मांगा था कि, 14 वर्षों तक वो श्रीराम की सेवा करेंगे इसलिए उन्हें नींद परेशान न करे. निद्रा देवी ने उनकी ये बात मान ली लेकिन एक शर्त रख दी. निद्रा देवी(Nidra Devi) ने कहा कि, 14 वर्षों तक आपको नींद परेशान नहीं करेगी लेकिन इसके बदले में आपकी पत्नी उर्मिला को सोना होगा. इसके साथ ही जैसे ही आप अयोध्या वापस लौटेंगे उर्मिला की नींद(Nidra Devi) खुल जाएगी और आपको नींद आ जाएगी. लक्ष्मण ने इस शर्त को मान लिया और वनवास चले गए. जिसके बाद उनकी पत्नी उर्मिला 14 साल तक सोती रहीं. रावण के वध के बाद श्री राम, सीता और लक्ष्मण वापस अयोध्या लौट आए और वहां प्रभु श्री राम के राजतिलक की तैयारी होने लगी। उस समय लक्ष्मण जोर-जोर से हंसने लगे। जब लक्ष्मण से इस हंसी का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि सारी उम्र उन्होंने इसी

भारत की इस नदी में बह रही है ऐसी चीज जिसे निकालकर लोग हो रहे अमीर, अब सरकार ने.!

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भारत देश में खनिज संपदाओं का अथाह भंडार धरती के अंदर छिपा हुआ है. वहीं कुछ ऐसी नदियां हैं में सोने और अन्य महंगी धातुओं के बहने का सिलसिला सदियों से चला आ रहा है. कुछ नदियां अपने साथ सोने(Gold) के कण लेकर बह रही हैं जिसको निकालकर लोग अपना जीवन यापन कर रहे हैं. हमारे देश में कई नदियाँ हैं और हर नदी की एक अलग कहानी सुनने को मिलती है. गंगा नदी को सबसे पवित्र नदी कहा जाता है, लेकिन हर कोई इसके बारे में जानता है. और कई नदिया है जैसे की नर्मदा, कावेरी, गोदावरी, सरस्वती आदि. लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि भारत में एक ऐसी नदी भी है जो अपने अंदर सोना(Gold) लेकर बह रही है. जी हां, स्वर्ण रेखा नाम की नदी झारखंड में रत्नगर्भा नामक स्थान पर बहती है. सदियों से नदी के पानी में सोने(Gold) के कण बह रहे हैं. साथ ही, सालों से नदी की रेत से सोना निकाला जा रहा है. यह नदी झारखंड, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के कुछ क्षेत्रों में बहती है. कहीं-कहीं इसे सुवर्ण रेखा के नाम से भी जाना जाता है. इस पूरे क्षेत्र के आदिवासी दिन-रात इन सोने(Gold) के कणों को इकट्ठा करते है और स्थानीय व्यापारियों को बेचकर जीवन

इन चीजों का जवाब जो नहीं हैं विज्ञान के पास

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हमें रोजाना कई चीजों के बारे में जानते हैं उनमें कुछ सामान्य होती हैं जबकि कुछ इतनी रोचक होती है कि हम सोचते हैं कि ऐसा कैसे? और अगर हम ऐसी चीजों का वैज्ञानिक कारण जानना चाहें तो हम पाएंगे कि विज्ञान के पास भी इन चीजों का जवाब नहीं है। एलियंस का रहस्य धरती के अलावा दूसरे ग्रहों पर जीवन की हमेशा बात होती रही है। ऐसे में एलियंस की मौजूदगी के कई बार संकेत मिले लेकिन प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिल पाए। कई लोग कहते हैं कि उन्होंने उड़नतश्तरियां और एलियंस देखें हैं लेकिन उनका अस्तित्व भी एक अनसुलझा रहस्य है। विज्ञान के पास भी इसका कोई जवाब नहीं है। चुम्बक के ध्रुव यह भी विज्ञान का एक अनसुलझा रहस्य है।आप चुम्बक को चाहे कितने ही टुकड़ों में बांट दो लेकिन फिर भी उसके उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव होते हैं। आश्चर्य की बात है ना! यदि किसी छड़ के केन्द्र को धागे से बांध दिया जाये या उसे उसी के सहारे स्वतन्त्र रूप से हवा में लटका दिया जाये तो इस छड़ की स्थिति अचल रूप से उत्तर-दक्षिण दिशा की ओर हो जाती है। भूत होते हैं या नहीं भूत यह बहस बरसों से चलती आ रही है कुछ लोग इस बात पर यकीन नहीं करते कि भूत हो

भारत के ऐसे कौन से खजाने हैं जिनकी खोज नहीं की जा सकी है?

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भारत को एक समय सोने की चिड़िया कहा जाता था, क्योंकि उस दौर के राजाओं की शानोशौकत के चर्चे दुनिया में थे। हालांकि यही दौलत दुनिया भर के हमलावरों को भी अपनी ओर खींचती थी। इसीलिए उस दौर के राजा अपने खजानों को बचाने के लिए इनसे जुड़ी जानकारियां गुप्त रखते थे। उस दौरान कई क्रूर आक्रमणकारी भले ही राजाओं की सत्ता छीनने में कामयाब रहे, लेकिन वे कई छिपे हुए खजानों को हासिल नहीं कर सके। भारत में ऐसे कई खजाने हैं, जिनकी तलाश करनी अभी भी बाकी है। हम आपको देश के ऐसे ही कुछ खजानों के बारे में बता रहे है जिन्हें लेकर कई तरह की किवदंतिया आज भी प्रचलित है। बिम्बिसार का खजाना ईसा पूर्व पांचवी शताब्दी में बिम्बिसार मगध का राजा था। इसके बाद ही मौर्य साम्राज्य का विस्तार शुरू हुआ था। माना जाता है कि बिहार के राजगीर में बिम्बिसार का खजाना छिपा हुआ है। यहां पर स्थित दो गुफाओं (सोन भंडार गुफा) में पुरानी लिपि में कुछ लिखा हुआ है, जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। माना जाता है कि इसमें ही खजाने से जुड़े संकेत छिपे हो सकते हैं। खजाने से जुड़े संकेत इतने ठोस थे कि अग्रेजों ने इस खजाने को ख

दुनिया के ऐसे 10 रहस्यमयी खजाने, जिनकी चाहत में सिर्फ मिली मौत

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दुनियाभर में कई गुप्त और रहस्यमयी खजाने हैं, जिन्हें कोई नहीं ढूंढ पाया है। बावजूद इसके, लोगों की कोशिशें कम नहीं हुई हैं। इन खजानों में सोने, चांदी और कीमती जेवरात हैं। खास बात ये है कि लोग इन खजानों को ढूंढकर लोग जल्दी अमीर बनने का सपना देखते हैं। कई कंपनियां ऐसे खजाने को खोजने का काम करती है। आज हम आपको बता रहे है दुनिया के ऐसे ही 10 रहस्यमयी खजानों के बारे में- 1. एल डोराडो का खजाना एल डोराडो के खजाने की खोज में हजारों लोग अपनी जान गवां चुके हैं। कहा जाता है कि यह खजाना कोलंबिया की गुआटाविटा झील में दफन है। इस झील की पूरी तली में सोना फैला हुआ है। दरअसल, सैकड़ों साल पहले यहां के चिब्बा आदिवासी सूर्य की आराधना करते हुए बहुत सा सोना झील में फेंकते थे। कई सालों तक ऐसा करते रहने के कारण इस झील की तली में बड़ी मात्रा में सोना इकट्ठा हो गया था। इस खजाने को पाने के लिए स्पेनिश लुटेरे फ्रांसिस्को पिजारो ने भी बहुत कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा। इसके अलावा प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान लगभग पूरा कोलंबिया ही इस खजाने की तलाश में रहा, लेकिन आज तक खजाना नहीं मिला। 2. काहुएंगा द